मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पीएचई विभाग से एक ऐसा चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे। यहाँ एक ही कर्मचारी की “दो बार मौत” दिखाकर उसके परिवार के तीन सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर सरकारी नौकरी दे दी गई। इस पूरे खेल में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की बात सामने आई है।
फर्जीवाड़े का पूरा खेल
यह पूरा मामला पीएचई विभाग के पंप अटेंडर भूप सिंह से जुड़ा है। सबसे पहले भूप सिंह को कागजों में मृत दिखाकर उनके बड़े बेटे रवि राजपूत को 5 सितंबर 2008 को हेल्पर की नौकरी दी गई। जबकि उस समय भूप सिंह वास्तव में ज़िंदा थे और विभाग में ही काम कर रहे थे।
जब भूप सिंह की असली मौत 30 अक्टूबर 2021 को हुई, तो उनके छोटे बेटे पुष्पेंद्र ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया और 10 फरवरी 2023 को उसे चौकीदार की नौकरी मिल गई।
यह फर्जीवाड़ा यहीं खत्म नहीं हुआ। इसके बाद, बड़े बेटे रवि राजपूत की भी मौत 12 जून 2022 को हो गई। उसकी पत्नी उमा राजपूत ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया और 5 अक्टूबर 2023 को उन्हें सहायक केमिस्ट के पद पर नौकरी मिल गई। इस तरह, भूप सिंह की मौत ने उनके दोनों बेटों और बहू को सरकारी नौकरी दिला दी।
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अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल
इस पूरे मामले में पीएचई विभाग के कई अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उनकी मिलीभगत के बिना यह फर्जीवाड़ा संभव नहीं था। इस मामले के उजागर होने के बाद, परिवार का कोई भी सदस्य सामने नहीं आ रहा है। विभाग के मुख्य अभियंता का कहना है कि मामले की जांच चल रही है और जल्द ही इसे पुलिस को सौंप दिया जाएगा। यह घटना एक बार फिर सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है।