MP News: भोपाल के आखिरी नवाब हामिदुल्लाह खान की दशकों पुरानी संपत्ति के विवाद में अभिनेता सैफ अली खान के परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेजा गया था।
क्या था हाईकोर्ट का फैसला?
हाईकोर्ट ने 30 जून को अपने एक आदेश में निचली अदालत के साल 2000 के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान और उनके कानूनी वारिसों, जिनमें सैफ अली खान, सोहा अली खान, सबा सुल्तान और शर्मिला टैगोर शामिल हैं, को संपत्ति का एकमात्र हकदार माना गया था। हाईकोर्ट ने केस को फिर से सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेजने का फैसला किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
नवाब के बड़े भाई के वंशजों, उमर फारूक अली और राशिद अली, ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि हाईकोर्ट को मामले को दोबारा सुनवाई के लिए भेजने के बजाय खुद ही फैसला सुनाना चाहिए था। याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और अतुल चंदुरकर की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी और नोटिस जारी किया।
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क्या है दशकों पुराना ये संपत्ति विवाद?
यह विवाद 1999 में नवाब के विस्तारित परिवार के सदस्यों द्वारा दायर किए गए मुकदमों से शुरू हुआ था। उनका दावा था कि नवाब की संपत्ति को मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार सभी कानूनी वारिसों में बांटा जाना चाहिए। वहीं, सैफ अली खान के परिवार का तर्क है कि 1962 के एक सरकारी सर्टिफिकेट के अनुसार यह संपत्ति नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान को विरासत में मिली थी और यह मुस्लिम पर्सनल लॉ के दायरे में नहीं आती है।